पहले तो अपने दिल की राजा जान जाइये
फिर जो निगाह-इ-यार कहे मान जाइये
पहले मिज़ाज-इ-रहगुज़र जान जाइये
फिर गर्द-इ-रह जो भी कहे मान जाइये
कुछ कह रही है आप क सिने की धरकने
मेरी सुनें तो दिल का कहा मान जाइये
इक धुप सी जमी है निगाहों क आस पास
ये आप हैं तो आप पे कुर्बान जाइये
शायद हुजुर से कोई निस्बत हमें भी हो
आँखों में झांक कर हमें पहचान जाइये
Thursday, December 9, 2010
पहले तो अपने दिल की राजा जान जाइये
Posted by
Nishant Kumar
at
11:41 PM
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