किया है प्यार जिसे हमने ज़िन्दगी की तरह
वो आशना भी मिला हमसे अजनबी की तरह
किसे खबर थी बढ़ेगी कुछ और तारीकी
छुपेगा वो किसी बदली में चांदनी की तरह
बाधा के प्यास मेरी उसने हाथ छोड़ दिया
वो कर रहा था मुरव्वत भी दिल्लगी की तरह
सितम तो ये है के वो भी न बन सका अपना
कबूल हमने किये जिसके गम ख़ुशी की तरह
कभी न सोचा था हमने 'क़तील' उसके लिए
करेगा हम पे सितम वो भी हर किसी की तरह
Tuesday, December 7, 2010
किया है प्यार जिसे हमने ज़िन्दगी की तरह
Posted by
Nishant Kumar
at
11:02 PM
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